प्रकृति मुझे अपनी ओर खींचती है और दर्शन मुझे स्वयं में बांधे रखता है। मुझे गर्व है कि मैंने रत्नगर्भा छत्तीसगढ़ की धरती में जन्म लिया है। अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य एवं समृद्ध जैव-सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण यहां का वनप्रांतर मेरी कर्मभूमि है। चित्रोत्पला महानदी की उपत्यका में पर्यटन के विकास के साथ-संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन एवं विकास की जिम्मेदारी भी मिली।
कर्म शासकीय है लेकिन पहचान व्यक्तिगत है, और बस यही बने रहना चाहता हूं।